‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

सरसी छंद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सरसी छंद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

राष्ट्रधर्म ही धर्म बड़ा है

राष्ट्र धर्म ही  धर्म बड़ा है
(सरसी छंद)


राष्ट्र धर्म ही  धर्म बड़ा है, राष्ट्रप्रेम ही प्रेम ।
राष्ट्र हेतु ही चिंतन करना, हो जनता का नेम ।

राष्ट्र हेतु केवल मरना ही, नहीं है देश भक्ति ।
राष्ट्रहित जीवन जीने को, चाहिए बड़ी शक्ति ।

कर्तव्यों से बड़ा नहीं है, अधिकारों की बात ।
कर्तव्यों में सना हुआ है, मानवीय सौगात ।

अधिकारों का अतिक्रमण भी, कर जाता अधिकार ।
पर कर्तव्य तो बांट रहा है , सहिष्णुता का प्यार ।

राष्ट्रवाद पर एतराज क्यों, और क्यों राजनीति ।
राष्ट्रवाद ही राष्ट्र धर्म है, लोकतंत्र की नीति ।।

राष्ट्रवाद ही एक कसौटी, होवे जब इस देश ।
नहीं रहेंगे भ्रष्टाचारी, मिट जाएंगे क्लेश ।।

-रमेश चौहान

चुनावी होली

चुनावी होली
(सरसी छंद)

जोगीरा सरा ररर रा
वाह खिलाड़ी वाह.

खेल वोट का अजब निराला, दिखाये कई रंग ।
ताली दे-दे जनता हँसती, खेल देख बेढंग ।।
जोगी रा सरा ररर रा, ओजोगी रा सरा ररर रा

जिनके माथे हैं घोटाले, कहते रहते चोर ।
सत्ता हाथ से जाती जब-जब, पीड़ा दे घनघोर ।।
जोगी रा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

अंधभक्त जो युगों-युगों से, जाने इक परिवार ।
अंधभक्त का ताना देते, उनके अजब विचार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

बरसाती मेढक दिखते जैसे, दिखती है वह नार ।
आज चुनावी गोता खाने, चले गंग मजधार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

मंदिर मस्जिद माथा टेके, दिखे छद्म निरपेक्ष।
दादा को बिसरे बैठे,  नाना के सापेक्ष ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

दूध पड़े जो मक्खी जैसे, फेक रखे खुद बाप ।
साथ बुआ के निकल पड़े हैं, करने सत्ता जाप ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा


इक में माँ इक में मौसी, दिखती ममता प्यार ।
कोई कुत्ता यहाँ न भौके, कहती वह ललकार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

मफलर वाले बाबा अब तो, दिखा रहे हैं प्यार ।
जिससे लड़ कर सत्ता पाये, अब उस पर बेजार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

पाक राग में राग मिलाये, खड़ा किये जो प्रश्न ।
एक खाट पर मिलकर बैठे, मना रहे हैं जश्न ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा


नाम चायवाला था जिनका, है अब चौकीदार ।
उनके सर निज धनुष चढ़ाये, उस पर करने वार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

-रमेशकुमार सिंह चौहान

हे भारत के भाग्य विधाता

हे भारत के भाग्य विधाता, मतदाता भगवान ।
नेताओं के कर्मों पर भी, देना प्रभु कुछ ध्यान ।।

देश आपका स्वामी आपहि, समरथ सकल सुजान ।
नेता नौकर-चाकर ठहरे, राजा आप महान ।।

देश आपको गढ़ना स्वामी, रख कर इसको एक ।
नौकर-चाकर ऐसे रखिये, वफादार अरु नेक ।।

शक्ति आपके पाकर के जो, केवल करते ऐश ।
निर्धन से जो धनवान हुये, बेच बेच कर देश ।।

जात-पात के खोदे खाई, ऊँच-नीच कॆ कूप ।
आतंकी और नक्सली भी, पालें हैं जो छूप ।।

जागें जागें हे जनार्दन, छोड़ें शैय्या शेष ।
हाथ सुदर्शन लेकर के प्रभु, मेटें सारे क्लेष ।।

-रमेश चौहान

मैं बच्चों का बाप

है बच्चों का लालन-पालन, कानूनी  कर्तव्य ।
पर कानूनी  अधिकार नही, देवें निज मंतव्य ।।

पाल-पोष कर मैं बड़ा करूं, हूँ बच्चों का बाप ।
मेरे मन का वह कुछ न करे,  है कानूनी श्राप  ।।

जन्म पूर्व ही बच्चों  का मैं, देखा था जो स्वप्न ।
नैतिकता  पर कानून बड़ा, रखा इसे अस्वप्न ।।

दशरथ  के संकेत  समझ तब, राम गये वनवास 
अगर आज दशरथ  होते जग, रहते कारावास ।।

मूल्य समय का होता जग में

शादी करने आयु न्यूनतम, निश्चित है इस देश ।
नहीं अधिकतम निर्धारित है, यह भी चिंता क्लेष ।।

अल्प आयु में मिलन देह का, या विवाह संबंध ।
चिंता दोनो ही उपजाते, हो इन पर प्रतिबंध ।।

चढ़े प्रीत का ज्वर है सबको, जब यौवन तन आय ।
सपने में सपने का मिलना, नाजुक मन को भाय ।।

कच्चे मटके कच्चे होते, जाते हैं ये टूट ।
पकने से पहले प्रयोग का, नहीं किसी को छूट ।।

मूल्य समय का होता जग में, माने यह व्यवहार ।
रखे-रखे पके हुये फल भी, हो जाते बेकार ।।

बोल रहा है चीन

सुनो सुनो ये भारतवासी, बोल रहा है चीन ।
भारतीय बस हल्ला करते, होतें हैं बल हीन ।।

कहां भारतीयों में दम है, जो कर सके बवाल ।
घर-घर तो में अटा-पड़ा है, चीनी का हर माल ।।

कहां हमारे टक्कर में है, भारतीय उत्पाद ।
वो तो केवल बाते करते, गढ़े बिना बुनियाद ।।

कमर कसो अब वीर सपूतो, देने उसे जवाब ।
अपना तो अपना होता है, छोड़ो पर का ख्वाब ।।

नही खरीदेंगे हम तो अब, कोई चीनी माल ।
सस्ते का मोह छोड़ कर हम, बदलेंगे हर चाल ।।

भारत के उद्यमियों को भी, करना होगा काम ।
करें चीन से मुकाबला अब, देकर सस्ते दाम ।।

राष्ट्र  प्रेम हो गर मन में तो, ठान लीजिये बात ।
भारत भारत भारतवासी, मन में ले जज्बात ।।

गूॅंज रहे हैं व्योम

हर शिव हर शिव शिव शिव हर हर, शंभु सदाशिव ओम ।
हर हर महादेव शिव शंकर, गूॅंज रहे हैं व्योम ।।

परम सुहावन सावन आये, भक्त करे जयकार ।

साजे काॅवर कांधे पर ले, भक्त चले शिव द्वार ।।
दुग्ध शर्करा गंगा जल से, भक्त करे परिषेक ।
बेल पत्र अरू कनक पुष्प से, करे भक्त अभिषेक ।
आदिदेव को भक्त मनावे, करते आयुष्होम । हर हर महादेव...

अंग भभूती चंदन मल कर, करते हम श्रृंगार ।
हे कैलाशी घट घट वासी, कर लें अंगीकार ।।
जय जय शशिशेखर जय पशुपति, पाश विमोचन नाथ ।
सहज सरल हे भोले बाबा, करिये हमें सनाथ  ।।
एक अराध्य देव हमारे, जिनके माथे सोम । हर हर महादेव...



Blog Archive

Popular Posts

Categories