जागो जागो वीर सपूतो. माँ भारती पुकारे ।
आतंकी बनकर बैरी फिर. छुपछुप है ललकारे ।।
उठो जवानो जाकर देखो. छुपे शत्रु पहचानो ।
मिले जहाँ पर कायर पापी. बैरी अपना मानो ।।
काट काट मस्तक बैरी के. हवन कुण्ड पर डालो।
जयहिन्द मंत्र उद्घोष करो. जीवन यश तुम पा लो ।।
जिनके मन राष्ट्र प्रेम ना हो. बैरी दल के साथी ।
स्वार्थी हो जो चलते रहते. जैसे पागल हाधी ।।
छद्म धर्म जो पाले बैठे . जन्नत के ले चाहत ।
धरती को जो दोजक करते. उनके बनो महावत ।।
बैरी के तुम छाती फाड़ों. वीर सिंह के लालों ।
रक्तबीज के ये वंशज हैं. इन्हें अग्नि पर डालो ।।
-रमेश चौहान-