ध्येय वाक्य बस है यही, कहे विवेकानंद ।।
कहे विवेकानंद, रूके बिन चलते रहिये ।
लक्ष्य साधने आप, पीर तो थोड़ा सहिये ।
विनती करे ‘रमेश‘, ध्येय पथ पर ही जाना ।
उलझन सारे छोड़, लक्ष्य को जो हो पाना ।।
Ramesh Kumar Chauhan
विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।
Manwata kaha hai ?
AAPNI AAKHO SE DEKHO
MAI DESH KA ..
सेठों को
देखा नही,
हमने किसी कतार में
फुदक-फुदक कर यहां-वहां जब
चिड़िया तिनका जोड़े
बाज झपट्टा मार-मार कर
उनकी आशा तोड़े
जीवन जीना है कठिन,
दुनिया के दुस्वार में
जहां आम जन चप्पल घिसते
दफ्तर-दफ्तर मारे ।
काम एक भी सधा नही है
रूके हुयें हैं सारे
कौन कहे कुछ बात है,
दफ्तर उनके द्वार में
अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा...